Friday 7 July 2017

"परिवर्तन"

प्रकृति का रंग
अपने बदलाव के साथ
सब कुछ बदल देता है
इंसान का जीवन
जीवन जीने का ढंग
परिस्थिति व आबोहवा
सभी कुछ
अपनी मौलिकता को छोड़कर
समय की धार के साथ
गति व रंग के साथ
स्वयं के बदलाव को
विवश हो जाते हैं
बचपन जवानी में
जवानी बुढ़ापा में
बुढ़ापा मरण में
मरण जनम में
'विजय'परिवर्तन का ये क्रम
समय की गति के साथ
निरंतर निर्बाध
चलता रहता है।2

4 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 05 अगस्त 2017 को लिंक की जाएगी ....
    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
    

    ReplyDelete
  2. बहुत सटीक....
    सार्थक प्रस्तुति..

    ReplyDelete
  3. परिवर्तन होना भी जरूरी है , सार्थक कविता

    ReplyDelete
  4. जीवंन के अक्षुण सत्य को दर्शाती सुंदर रचना --------परिवर्तन संसार का अटल नियम है ---- हार्दिक शुभकामना ---

    ReplyDelete